राजस्थान का एकीकरण
राजस्थान को प्राचीन काल में राजपूताना के नाम से जाना जाता था इस बात का उल्लेख हमें बसंतगढ़ शिलालेख, “मुहनौत नैणसी री ख्यात” ग्रन्थ, विलियम फ्रैंकलिन की पुस्तक “मिलट्री मेमायार्स ऑफ जॉर्ज थॉमस” तथा कर्नल जेम्स टॉड की पुस्तक “एनाल्स एण्ड एंटीक्विटीज ऑफ़ राजस्थान” आदि ग्रंथों से पता चलता है राजस्थान का शाब्दिक अर्थ है – शासकों का निवास स्थान।
आजादी से पहले राजस्थान कई रियासतों में बंटा था सरदार वल्लभभाई पटेल ने सभी राज्यों से बात कर उन्हें संयुक्त राज्य की विशेषताएं बताकर उन्हें एक राज्य बनाने के लिए राजी किया वीपी मैनन साहब ने इस कार्य में सरदार वल्लभभाई पटेल की सहायता की।
राजस्थान का एकीकरण :- राजस्थान का एकीकरण 7 चरणों में संपन्न हुआ इसमें 8 वर्ष 7 माह व 14 दिन लगे उस समय कुल 19 रियासते 3 ठिकाने व एक केंद्र शासित प्रदेश था। माउंटबेटन ने देशी रियासतों को शामिल करने के लिए दो प्रकार के प्रपत्र तैयार करवाएं :-
1.इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ एक्सेशन :- इस पर हस्ताक्षर करके कोई भी शासक भारतीय संघ में शामिल हो सकता था।
2.स्टैंड स्टील एग्रीमेंट :- यह यथास्थिति के लिए सहमति पत्र था।
राजस्थान के एकीकरण के सात चरण :-
प्रथम चरण | नाम – मत्स्य संघ दिनाक – 18 मार्च 1948 राजधानी – अलवर | 4 रियासते (अलवर, भरतपुर, करौली, धौलपुर) व 1 ठिकाना (नीमराना, अलवर ) उद्घाटनकर्ता – एन.वी.गाडगिल | प्रधानमंत्री – शोभाराम कुमावत राजप्रमुख – उदयभान सिंह उपराजप्रमुख – गणेशपाल वासुदेव |
द्वितीय चरण | नाम – पूर्व राजस्थान दिनाक – 25 मार्च 1948 राजधानी – कोटा | 9 रियासते व 1 ठिकाना (कुशलगढ़, बाँसवाड़ा ) उद्घाटनकर्ता – एन.वी.गाडगिल | प्रधानमंत्री –गोकुल लाल राजप्रमुख – भीम सिंह (कोटा) उपराजप्रमुख – बहादुरसिंह (बूंदी) |
तृतीय चरण | नाम – संयुक्त राजस्थान दिनाक – 18 अप्रैल 1948 राजधानी – उदयपुर | उदयपुर को मिलाया (9+1) 10 रियासते व 1 ठिकाना उद्घाटनकर्ता – प. जवाहरलाल नहरू | प्रधानमंत्री – माणिक्यलाल वर्मा राजप्रमुख – भूपाल सिंह (जयपुर) उपराजप्रमुख – भीमसिंह (कोटा) |
चतुर्थ चरण | नाम – वृहद राजस्थान दिनाक – 30 मार्च 1949 राजधानी – जयपुर | 4 रियासते (जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर) (10+4) व 1 ठिकाना (लावा, टोंक ) 14 रियासते व 2 ठिकाना उद्घाटनकर्ता – सरदार वल्लभभाई पटेल | प्रधानमंत्री – हीरालाल शास्त्री राजप्रमुख – मान सिंह (जयपुर) उपराजप्रमुख – भीमसिंह (कोटा) |
पंचम चरण | नाम –संयुक्त वृहद राजस्थान दिनाक – 15 मई 1949 राजधानी – जयपुर | मत्स्य संघ को मिलाया (14+4) 18 रियासते व 3 ठिकाना उद्घाटनकर्ता – सरदार वल्लभभाई पटेल | प्रधानमंत्री – हीरालाल शास्त्री राजप्रमुख – मान सिंह (जयपुर) |
षष्टम चरण | नाम – राजस्थान संघ दिनाक – 26 जनवरी 1950 राजधानी – जयपुर | सिरोही को मिलाया (18 +1 ) 19 रियासते व 3 ठिकाना उद्घाटनकर्ता – सरदार वल्लभभाई पटेल | मुख्यमंत्री – हीरालाल शास्त्री राजप्रमुख – मान सिंह (जयपुर) |
सप्तम चरण | नाम – राजस्थान दिनाक – 1 नवम्बर 1956 राजधानी – जयपुर | सिरोही का आबू-देलवाड़ा व अजमेर का मेरवाड़ा को मिलाया तथा सिंरोज (झालावाड़) व सुनेल ठप्पा (मध्यप्रदेश) का आदान – प्रदान | मुख्यमंत्री – मोहनलाल सुखाड़िया राज्यपाल – गुरुमुख निहालसिंह |
- दो सोपानो में विलय हुआ – अजमेर और सिरोही
- सबसे नई रियासत – झालावाड़
- सबसे प्राचीन रियासत – मेवाड़
- क्षेत्रफल की दृष्टी से सबसे बड़ी रियासत – जोधपुर
- बांसवाडा के राजा चंद्रवीर सिंह ने कहा “मैं अपने डेथ वारंट पर हस्ताक्षर कर रहा हु।”
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