रणथंबोर के चौहान
- पृथ्वीराज चौहान (तृतीय) के पुत्र गोविंद राज ने रणथंबोर में (1194 ई.) में चौहान वंश की स्थापना की गोविंद राज के बाद उसका पुत्र व वलनदेव तथा फिर 1236 ई. में बागभट्ट रणथंबोर का शासक बना बागभट्ट के पोत्र हम्मीर देव ने 1282 ईस्वी में रणथंबोर के सिंहासन पर विराजमान हुआ।
हम्मीर देव
- रणथंबोर के चौहानों का वीर पुरुष तथा दिग्विजय शासक – हम्मीर देव।
- 1291 में दिल्ली के बादशाह जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने रणथंबोर दुर्ग के चारों और डेरा डाला लेकिन सफल नहीं होने पर “ऐसे दस किलो को तो मैं मुसलमान के एक बाल के बराबर भी महत्व नहीं देता” कहकर डेरा उठा लिया ।
- हम्मीरदेव ने मंगोल शासक मोहम्मद शाह को शरण दी थी जिससे नाराज होकर अलाउद्दीन खिलजी ने 1299 ईस्वी में उलुगखां व नुसरत खां के नेतृत्व में शाही सेना को रणथंबोर दुर्ग पर आक्रमण करने भेजा।
- हम्मीरदेव के सेनापतियों भीम सिंह व धर्म सिंह ने तुर्कों की सेना को पराजित किया लेकिन भीम सिंह शहीद हो गए। दूसरी बार अलाउद्दीन खिलजी ने उलुगखां और नुसरत खां के नेतृत्व में रणथंबोर पर हमला किया।
- अलाउद्दीन खिलजी ने संधि के बहाने हम्मीरदेव से धोखा कर उसके सेनापतियों रतिपाल व रणमल को लालच देकर अपने साथ कर लिया तथा दुर्ग के गुप्त मार्ग का पता कर लिया।
- दुर्ग में भी अनाज की कमी थी अमीर खुसरो ने लिखा कि “ सोने की 2 दानों के बदले अनाज का एक दाना नसीब नहीं हो रहा था ” ।
- हमीरदेव दुर्ग से नीचे आये, पुत्री पदम्ला के साथ रानी रंगदेवी तथा राजपूत स्त्रियों ने जौहर किया हम्मीरदेव वीरतापूर्वक लड़े तथा वीरगति को प्राप्त हुए।
- अमीर खुसरो ने रणथंबोर विजय पर कहा “आज कुफ्र का गढ़ इस्लाम का घर हो गया” ।
- हम्मीरदेव ने अपने पिता जेत्रसिंह के 32 वर्षों के शासन की याद में रणथंबोर दुर्ग में 32 खंभों की “न्याय की छतरी” नामक छतरी बनवाई,पुत्री पदम्ला के नाम पदम्ला तालाब बनवाया।
जालौर के चौहान
- कीर्तिपाल चौहान ने जालोर सोनगरा चौहान वंश की स्थापना की।
कान्हड़देव चौहान (1305 – 1311 ई.)
- कान्हड़देव एक वीर योद्धा था, यह जानकारी “कान्हड़देव प्रबंध व वीरमदेव सोनगरा री वात” ग्रंथों से मिलती है कान्हड़देव के सेनापति जेता व देवड़ा ने अलाउद्दीन खिलजी की सेना से युद्ध कर गुजरात लूट का सामान तथा सोमनाथ शिवलिंग के 5 टुकड़े प्राप्त किए।
- कान्हड़देव के पुत्र वीरमदेव से अलाउद्दीन खिलजी की पुत्री फिरोजा प्रेम करती थी लेकिन वीरमदेव ने मना कर दिया अलाउद्दीन खिलजी ने वीरमदेव का सिर काटकर फिरोजा के सामने लाए फिरोजा ने सिर का विधिवत रूप से दाह संस्कार कर खुद यमुना में कूद गई ।
- अलाउद्दीन खिलजी की सेना ने जालौर पर आक्रमण करने से पूर्व जालौर दुर्ग की कुंजी सिवाना दुर्ग पर आक्रमण किया अलाउद्दीन खिलजी ने सिवाना दुर्ग के शासक शीतल देव के सेनापति भावला को लालच देकर अपनी और कर दिया।
- भावला ने दुर्ग के मामदेव कुंड में गौरक्त मिलाकर अपवित्र कर दिया जिससे पीने के पानी की समस्या उत्पन्न हो गई।
- 1308 ई. राजपूत वीरांगनाओं ने रानी मेंणादे के नेतृत्व में जोहर किया तथा राजपूतों ने सातलदेव के नेतृत्व में युद्ध किया सातल देव को वीरगति प्राप्त हुई सिवाना दुर्ग का नाम बदलकर खैराबाद कर दिया गया। शाही सेना के सेनापति कमालुद्दीन गुर्ग ने कान्हड़देव के सेनापति राजपूत बीका को दुर्ग का लालच देकर, दुर्ग में प्रवेश का गुप्त रास्ता पता कर लिया।
- 1311 ई. रानी जैतलदे के नेतृत्व में राजपूत वीरांगनाओ ने जौहर किया तथा कान्हड़देव वीरगति को प्राप्त हुए वीरमदेव ने आशापुरा माता के सामने आत्महत्या कर दी, जालौर का नाम बदलकर जलालाबाद कर दिया।
सिरोही के चौहान
- लुम्बा चौहान ने सिरोही में चौहान वंश की स्थापना कर राज्य की राजधानी चंद्रावती को बनाया, सहसमल ने सिरोही नगर बसाया।
- “उड़ना अखेराज” ने खानवा के युद्ध में महाराणा सांगा का साथ दिया।
- शिवसिंह चौहान ने अंग्रेजों से संधि की।
हाडोती के चौहान
- बरसिंह हाडा ने प्रसिद्ध तारागढ़ किले का निर्माण कराया रुडयार्ड क्लिपिंग ने कहा-“यह किला प्रेतो द्वारा बनाया गया है।
- राणा लाखा ने हामुजी के समय मिट्टी के बने बूंदी के किले पर विजय प्राप्त कर अपनी शपथ पूर्ण की।
- नारायण दास की तलवार का वार पत्थर के खंभे से टकराया जिससे निशान पड़ गया इस निशान को हाड़ा राजपूत आज भी पूजते है।